लोको पायलटों की कार्यप्रणाली को सुरक्षित और आरामदायक बनाने के लिए रेल प्रशासन निरंतर प्रयासरत

भारतीय रेल में लोको पायलट न केवल परिचालन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, बल्कि रेल सुरक्षा एवं समयबद्ध संचालन के भी आधार स्तंभ हैं। लोको पायलट की बेहतर सुविधाएं बनाने के लिए रेल प्रशासन द्वारा विगत वर्षों में उनके लिए कई नई सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।
इसी क्रम में उत्तर मध्य रेलवे के गाजियाबाद से पं दीनदयाल उपाध्याय एवं पलवल से बीना रेल खंड रेलवे संचालन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है लोको पायलट की सुविधाओं में बढ़ोतरी हेतु रेलवे द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे है। प्रयागराज मंडल के रनिंग रूम में विश्राम हेतु सभी सुविधाओं को प्रदान की गयीं है, जिससे वे गुणवत्ता पूर्ण विश्राम ले सके तथा ताज़ा होकर अपने अगली पाली में संरक्षपूर्ण रेल सञ्चालन कर सकें ।
पहले एक भी रनिंग रूम वातानुकुलित नहीं था वहीं अब बीते कुछ वर्षों में सभी रनिंग रूम को एयरकंडीशंड किया जा चुका है और इसके साथ ही किचन में सब्सिडाइज दरों पर खाना भी उपलब्ध होता है। उनमें आधुनिक सुविधाएं जैसे आरामदायक बेड, रीडिंग लाइट, स्वछ शौचालय और मनोरंजन, रनिंग रूम में योग, क्वालिटी रेस्ट, सर्दी में गीजर आदि की व्यवस्था की गई है, जिससे लोको पायलटों को यात्रा के बाद बेहतर विश्राम मिल सके। इसके अतिरिक्त, महिला कर्मी हेतु अलग कक्ष, नियमित परिवार संरक्षा संगोष्ठी, नियमित स्वास्थ्य शिविर, नियमित विश्राम क्रिकेट, फुटबॉल, बॉलीबॉल आदि आयोजित कराये जाते हैंI

रेलवे द्वारा सुरक्षा एवं समयबद्ध संचालन के लिए लोको कैबिन्स को भी तकनीकी रूप से उन्नत किया गया है। अब आधे से अधिक लोको कैबिन वातानुकूलन व्यवस्था से सुसजित हैं। इनमें एर्गोनोमिक सीटें, बेहतर विज़न के लिए वाइड विंडशील्ड और अन्य सहायक सुविधाएं जोड़ी गई हैं, जो लोको पायलटों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और आराम को सुनिश्चित करती हैं। रेलवे द्वारा एक अन्य बड़ी पहल यह रही है कि सभी नए लोकोमोटिव्स में शौचालय की अनिवार्य व्यवस्था की गई है। साथ ही प्रयागराज मंडल के 80 पुराने लोकोमोटिव्स में भी रेट्रोफिटिंग के माध्यम से शौचालय जोड़े गया है । यह सुविधा लोको पायलटों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

सुरक्षा के लिए कोहरे और अन्य प्रतिकूल मौसम में परिचालन की सुरक्षा हेतु रेलवे ने फॉग-सेफ्टी डिवाइस, ड्राइवर अलर्ट सिस्टम, ब्रेकिंग सिस्टम में सुधार और कवच जैसी तकनीकों को शामिल किया है। इससे न है, केवल ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई बल्कि लोको पायलटों को भी तकनीकी रूप से अधिक सक्षम और सुरक्षित बनाया गया है।इसके अलावा लोको पायलटों को वॉकी-टॉकी की सुविधा दी गई है, जिससे वे स्टेशन कर्मचारियों के निरंतर संपर्क में रहकर बेहतर तालमेल के साथ कार्य कर पाते हैं। स्टेशन स्टाफ भी हर संभव सहयोग देकर लोको पायलटों के लिए कार्य को सुगम बनाते हैं।
अवगत कराया जाता है की रेल परिचालन में संरक्षा सर्वोपरि होती है और इसके लिए लोको पायलटों को निरंतर ट्रेनिंग एवं रिफ्रेशर कोर्स कराए जाते है। साथ ही उनको स्ट्रेस प्रबंधन के गुर सिखाने के साथ ही उनके परिवारों से भी वार्ता कर उनके कार्यों एवं कार्य प्रणाली के विषय में न्यूनतम जानकारी प्रदान की जाती है।

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